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Showing posts from July, 2017

नीतीश और मायावती: दो राजनीतिक इस्तीफों का विरोधाभास

गत दिनों भारतीय राजनीति के दो कद्दावर नेताओं ने इस्तीफ़ा दे कर देश में हलचल मचा दिया..इन इस्तीफों से ना सिर्फ देश की राजनीतिक दिशा पर गहरा असर पड़ेगा बल्कि इन दोनों नेताओं के राजनीतिक अस्तित्व और भविष्य पर भी असर देखने को मिलेगा.. जहाँ बसपा प्रमुख मायावती ने राज्यसभा की अपनी सदस्यता से इस्तीफ़ा दिया वहीं जदयू प्रमुख और राजद के समर्थन से बिहार के मुख्यमंत्री बने नीतीश कुमार ने अपने पद से इस्तीफ़ा दिया..यूँ तो दोनों नेताओं ने किसी न किसी कारणवश इस्तीफ़ा दिया लेकिन इन दो इस्तीफों का विरोधाभास स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है.. आइये जानते हैं कैसे? राज्यसभा की सांसद और बसपा प्रमुख मायावती ने अपनी सदस्यता से इस्तीफ़ा दे दिया..दरअसल प्रश्नकाल के दौरान मायावती सहारनपुर हिंसा से जुड़े मुद्दे पर सरकार से प्रश्न कर रही थी..सहारनपुर में हुई हिंसा में कथित तौर पर दलितों पर हमला हुआ था..और दलितों की राजनीति करने वाली मायावती ने इस मुद्दे को सभापति की मौजूदगी में सरकार पर हमला करते हुए प्रश्न किया.. हालाँकि मायावती को जो समय दिया गया था उस समय में उन्होंने अपनी बात रख ली थी और अब समय था सरकार की तर

नीतीश का इस्तीफ़ा- राजनीतिक साख बचाने की कवायद

शाम के 6 बजे दफ्तर से घर लौटते समय इस्तीफ़ा और अगली सुबह 10 बजे घर से दफ्तर जाते समय वापस शपथ ग्रहण..कुछ घंटों का राजनीतिक घटनाक्रम और बिहार की राजनीती में भूचाल..कुछ लोगों को यह ग़लतफ़हमी हो सकती है कि नीतीश कुमार का यह फैसला जल्दबाजी में लिया गया मौकापरस्ती का उदाहरण है, परन्तु सच यह है कि यह फैसला और कुछ भी हो सकता है पर जल्दबाजी में लिया गया फैसला नहीं है अपितु बड़ी सूझबूझ के साथ एक चतुर राजनीतिज्ञ द्वारा सही समय पर लिया गया उचित फैसला है.. आइये जानते हैं कि ऐसा क्यों है? दरअसल बिहार के राजनीती कि धुरी घूमती है जेपी आंदोलन द्वारा आये परिवर्तन से और उसी आंदोलन द्वारा अग्रिम पंक्ति में आये नेताओं के इर्द-गिर्द..इन नेताओं में प्रमुख नाम हैं शरद यादव, नीतीश कुमार और लालू प्रसाद यादव..इन तीनों नेताओं ने जेपी आंदोलन के साथ अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत की.. शरद और नीतीश का एक धड़ा और लालू यादव का दूसरा..दोनों के काम करने की शैली से लेकर विचाधाराओं में भी आकाश-पाताल सा अंतर..ऐसे में बिहार के राजनीती की दिशा बदली जब लालू यादव यहाँ के मुख्यमंत्री बने..जातीय हिंसा, भ्रष्टाचार और लचर कान

Indian Women's Cricket Team Fell 9 Short, Yet Created History

With high hopes the Indian Women's Cricket Team went in to the finals of the World Cup against England, though the result came out against the expectations of everyone the team managed to create history despite falling 9 runs short of the target set by the England team. Congratulations to the England team for becoming the world champions but the hearts won by the Indian girls in blue who fought like a warrior and at the end came out as winners, despite losing the match and the championship. Before going to the world cup no one even expected the team to play so well and reach the finals of the world cup. The team went on to beat the best teams participating in the tournament including the New Zealand and Australia, that too convincingly. Reaching the finals of the tournament was the moment when history gradually started to build up. The women's team started to get all the due coverage that they were ignored all these days. The common citizenry of India, politicians, med

मायावती का राज्यसभा से इस्तीफ़ा- राजनीतिक ढोंग

राज्य सभा से बसपा प्रमुख मायावती के इस्तीफे ने देश में हलचल मचा दिया.. कारण बताया कि सदन में उन्हें बोलने नहीं दिया गया.. बकौल मायावती, अगर वो सदन में अपने समाज के लिए आवाज़ नहीं उठा सकती तो उनका सदन में रहने का कोई मतलब नहीं है.. हालाँकि सदन में भाषण के बीच हो-हल्ला कोई नयी बात नहीं है और मायावती जी को तो ये बात और अच्छे से पता होगी क्योकि वो खुद भी सदन में इस तरह के कार्य करती रही हैं.. दरअसल इस्तीफे के दो कारण हो सकते हैं, एक तो ये कि कम सदस्य होने के नाते मायावती जी को राज्य सभा में दूसरा कार्यकाल मिलने पर आशंका है और दूसरा ये कि इस मुद्दे पर विपक्ष को कुछ घंटों के लिए ही सही एक हो कर सरकार को घेरने का एक और मौका मिल गया.. ज्ञात हो कि 4 बार उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री रह चुकी मायावती दलित समाज से आती हैं और उनकी राजनीति भी दलितों के मुद्दे की धुरी पर ही घूमती है.. 1984 में कांशीराम ने बाबा साहब आंबेडकर के पदचिन्हों पर चलने के निश्चय के साथ बसपा का गठन किया.. एक साधारण परिवार में जन्मी और वकालत की पढाई करने वाली मायावती को कांशीराम ने पार्टी के लिए खुद चुना और 2001 में एक व